NCERT Solutions Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 8 दोहे – Here are all the NCERT solutions for Class 9 Hindi Chapter 8. This solution contains questions, answers, images, explanations of the complete chapter 8 titled दोहे of Hindi taught in class 9. If you are a student of class 9 who is using NCERT Textbook to study Hindi, then you must come across chapter 8 दोहे. After you have studied lesson, you must be looking for answers of its questions. Here you can get complete NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 दोहे in one place.
NCERT Solutions Class 9 Hindi Chapter 8 दोहे
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Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | स्पर्श |
Chapter Number | 8 |
Chapter Name |
दोहे |
NCERT Solutions Class 9 Hindi chapter 8 दोहे
Class 9, Hindi chapter 8, दोहे solutions are given below in PDF format. You can view them online or download PDF file for future use.
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Question & Answer
Q.1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1 प्रेम का धागा टूटने पर पहले कि भाँती क्यों नहीं हो पाता ?
2 हमें अपना दुःख दोसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए ?
3 रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा हैं ?
4 एक को साधने से सब कैसे सध जाता है ?
5 जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता ?
6 अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा ?
7 ‘नट‘ किस कला में सिद्व होने के कारण ऊपर चढ़ जाता हैं ?
8 ‘मोती,मानुष,चून’ के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
Ans : 1. प्रेम आपसी लगाव, मेल-जोल, आकर्षण और आपसी विश्वास के कारण होता है ।यदि एक बार ये आपसी लगाव और विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें वो पहले जैसा भाव नहीं रह जाता है ।कहीं न कहीं एक दरार रह ही जाती है एकदम वैसे ही जैसे धागा टूटने के बाद गाँठ बांध कर जोड़ तो दिया जाता है पर वो बात नहीं रह जाती । 2. कोई किसी के दुःख को नहीं समझ सकता है । इस लिए हमें अपना दुःख-दूसरों के सामने नहीं प्रकट करना चाहिए । इसका मतलब या कारण यह हैं, कि लोग हमारे दुःख कि बात सुनकर खुश ही होते हैं । वे उसे कम करने या साझा करनें को तैयार नहीं होते हैं । उनका आचरण अथवा व्यवहार हमारे मित्र जैसा नहीं बल्कि गैरों जैसा होता है । तो बेगानों के समझ में आपका दुःख नहीं आएगा । 3. सागर पानी से पूरा लबालब भरा होने के बाद भी उसके जल को न कोई पी सकता है न अपने किसी उपयोग में ले सकता है क्योंकि उसमें नमक की मात्रा अर्थात् खारा होता है, जिसे पीकर विपरीत पंक का जल मीठा होता है। और वे जल पीकर तृप्त हो जाते है। इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को उसके उपयोग के कारण धन्य कहा है सागर की अपेक्षा। 4. कवि रहीम के अनुसार एक ही भगवान पर आस्था और विश्वास रखने से सारे कार्य पूर्ण हो जाते है। जिस प्रकार एक जड़ या पौधे को सींचने से हमे अच्छे फल एवं फूलों की प्राप्ति होती है। ठीक उसी प्रकार एक ही ईश्वर की आस्था और स्मरण करने से हमे सुख की प्राप्ति होती है। 5. सूर्य कमल को पोषण करता हैं, परंतु अगर पानी नहीं होगा तो कमल नहीं जी पायेगा वह सूख जाता है। क्योंकि कमल को विकसित एवं पुष्पित होने के लिए जल की आवश्यकता होती है इसलिए कमल की जो संपति जल है उसके न रहने पर सूर्य भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है और नाहि उसकी रक्षा कर सकता हैं। 6. अवध नरेश को चित्रकूट अपने वनबास के दिनों में ही जाना पड़ा। यहां कहने का तात्पर्य यह है, कि जब हम किसी मुश्किल में हो संकट के समय सभी को ईश्वर के चरणों में या शरण में जाना पड़ता है। 7. ‘नट‘ कुंडली मारने की कला में सिद्व होने के कारण ऊपर चढ़ जाता हैं। 8. ‘मोती, मानुष,चून’ के संदर्भ में पानी का महत्व यह हैं, कि उसकी जो चमक है, वो चमक पानी से ही मिलती है । मनुष्य के संदर्भ में पानी का अर्थ उसके मान-सम्मान से किया है। और आते के संदर्भ में उसे गूंथने और खाने योग्य बनाने से होता है। इस प्रकार तीनों का ही पानी के बिना महत्व कम हो जाता है ।
Q.2: निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
1 टूटे से फिर ना मिले, मिले गांठ परी जाय।
2 सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँढि न लैहैं कोय।
3 रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
4 दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
5 नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
6 जहाँ काम आवें सुई, कहा करे तरवारि।
7 पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।
Ans : 1. इस पंक्ति में यह भाव स्पष्ट किया गया है, कि जो प्रेम संबंधी धागे होते है उन्हें हमेशा सहेजकर रखना चाहिए। इस धागे के एक बार टूट जाने से वह फिर से उसी प्रकार नहीं जुड़ सकता और प्रेम संबंधी धागे जुड़ भी जाए तो उनमें गांठ पड़ जाती हैं। 2. इस पंक्ति में यह भाव स्पष्ट किया गया है, कि हमें अपना दुःख अपनी तकलीफ अपने तक ही सीमित रखना चाहिए। दूसरों के सामने अपना दुःख व्यक्ति करने से हम केवल हंसी का पात्र ही बनते हैं सब मजाक उड़ाते है कोई किसी का दुःख नहीं बांटता हैं। 3. कवि इस पंक्ति में यह भाव प्रकट चाहते हैं, कि जिस प्रकार हमें एक वृक्ष से फल-फूल पाने के लिए उसकी जड़ को ही सींचना चाहिए, ठीक उसी प्रकार कवि हमें एक ही ईश्वर की भक्ति और पूजा पर ध्यान देने को कह रहे हैं। 4. इस पंक्ति का तात्पर्य यह है, कि किसी दोहे में यदि अक्षर कम होने के बावजूद भी उसमें बड़े अर्थ छिपे होते हैं । उनका गूढ़ अर्थ उनमें एक गगरी में सागर भरने के भाव को स्पष्ट करता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक नट कुंडली को समेट कर कूद के रस्सी पर चढ़ जाता है। हमें भी अपने जीवन में सिद्वहस्त होना चाहिए चाहे जो भी कार्य क्यों न हो। 5. एक हिरन मधुर संगीत सुनकर वह अपने प्राण भी दे देता है वह उस संगीत पर न्योछावर होने को भी तैयार रहता है उसी तरह मानव किसी की कला पर प्रभावित या मोहित होकर उसे धन देता है। और उसका कल्याण करता है किंतु दूसरों से खुश होकर भी कुछ नहीं देता वह मानव एक पशु के समान होता है। इस में यहीं भाव स्पष्ट किए गये हैं। 6. इन पंक्ति में कवि का भाव यह है, कि हर छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी वस्तु का अपना एक अलग महत्व होता है। जिस तरह सुई जो कार्य कर सकती है, वह बड़ी तलवार नहीं कर सकती, एवं तलवार का जो कार्य है वह सुई नहीं कर सकती, सबका अपना अलग-अलग कार्य होता है। उसी प्रकार किसी की उपेक्षा या बुराई नहीं करनी चाहिए। 7. यहां कवि का यह भाव है, कि जिस तरह मोती बिना चमक बेकार है, वैसे यदि मनुष्य का आत्मसम्मान न रहे तो उसका जीवन ही व्यर्थ है। और यदि आटे में पानी न मिलाया जाये तो तो वह खाने के लायक नहीं होता वैसे ही पानी के बिना मोती, मानुष, आटा तीनों ही नहीं उबर सकते हैं।
Q.3: निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है ।
(क) जिस पर विपदा अति है वही इस देश में आता है ।
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं
सकती ।
(ग) पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए ।
Ans : (क) जा पर विपदा पडत है, वही आवत इस देस (ख)बिगरी बात बनै नहीं, लाख करो किन कोय। (ग) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।।
Q.4: उदाहरण के आधार पर पाठ मैं आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए -
उदहारण : कोय -कोई जे -जो
ज्यों कछु
नहिं कोय
धनि आखर
जिय थोरे
होय माखन
तरवारि सींचिबो
मूलहिं पिअत
पिआसो बिगरी
आवे सहाय
उबरे बिनु
बीथा अठिलैहैं
परिजाय
Ans : ज्यों : जैसे कछु :कुछ नहिं :नहीं कोय :कोई धनि :धनी आखर :अक्षर जिय :जी थोरे : थोड़े होय :होना माखन :मक्खन तरवारि :तलवार सींचिबो : सिंचाई करना मूलहिं :मूल पिअत : पीना पिआसो : प्यासा बिगरी : बिगड़ी आवे :आए सहाय : सहायक उबरे :उबरना बिनु : बिना बीथा : व्यथा अठिलैहैं : अठखेलियाँ परिजाय : पड़ जाए
Q.5: ‘सुई कि जगह तलवार काम नहीं आती’, बिन पानी सब सून इन विषयों पर कक्षा में चर्चा आयोजित कीजिए।
Ans : छात्र स्वयं करें।
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