क्या आपको पता है संसार का पहला अध्यापक कौन था?
जरा सोचिए। नहीं पता चला?
माँ ही संसार की सबसे पहली अध्यापक थी| यदि हम कहें कि आज भी है और कल ओऔ होगी तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।शायद इसी का परिणाम है कि निचली श्रेणी की कक्षाओं के लिए महिला अध्यापकों क्यों प्राथमिकता दी जाती है। जितना ऊँचा दर्जा समाज मैं माँ का है उतना ही अध्यापक का भी है। संसार में सबसे ज़्यादा मॉग एवम् सम्मानवाला करियर अध्यापन ही है।किसी राष्ट्र एवम समाज को आगे बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अध्यापक की होती है क्योंकि किसी सौमा तक वह बच्चों के भविष्य एवम: जीवन मूल्यों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
अध्यापन क्षेत्र में आने के लिए आवश्यक है ?
- पढ़ाने में रूचि होना
- अभिव्यक्ति की क्षमता
- बर्ष्चों के व्यक्तित्व को समझना
- धैर्शशौलता
- रथनात्मकता
- गैरआलोचनात्मक
- आत्मसंयम एवम् क्रोध पर नियंत्रण
- विभिन्न परिस्थितियाँ में शांत रहना
- अपना जान बढ़ाने एवम रुचिकर शिक्षण सामग्री तैयार करने में रूचि होना
अध्यापन के विभिन्न सोपान
- E.C.C.E./N.T.T (अर्ली चाइल्ड हुड केयर ऐंड एजुकेशन/ नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) – K.G./Nursery कक्षाओं के लिए।
- D.EI.Ed./E.T.E. – (डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन / एलिमेंटरी टीघर एजुकेशन) – पहली से पाँचवीं तक की कक्षाओं के लिए|
- T.G.T ट्रेंड ग्रैजुएट टीचर) – छह से दसवीं तक की कक्षाओं के लिए| स्नातक स्तर की डिग्री के साथ B.Ed. की डिग्री आवश्यक है।
- P.G.T. (पोस्ट शैजुएट टीचर) – ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षाओं के लिए| विषय विशेष में स्नातकोत्तर स्तर की डिग्री के साथ B.Ed. की डिग्री आवश्यक है|
Special Educator (स्पेशल एजुकेटर) – विकलांग बच्चों के अध्यापक।
- Lecturer (लेक्चरर) – स्नातक एवम स्नातकोत्तर स्तर के लिए| स्नातकोत्तर स्तर की डिग्री के साथ मैशनल ऐलिजिबिलिटी टेस्ट ((N.E.T.) की परीक्षा उत्तीर्ण करमा आवश्यक है|

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